Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2023: छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर प्रियजनों को भेजें ये संदेश

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2023: छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर प्रियजनों को भेजें ये संदेश

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2023: भारत के वीर सपूतों में से एक छत्रपति शिवाजी को लोग हिन्दू हृदय सम्राट कहते हैं तो कुछ लोग इन्हें मराठा गौरव कहते हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर आप इन संदेशों के जरिए भेंजे शुभकामना संदेश.

w

आज मराठा साम्राज्य की स्थापना करने वाले वीर योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है। वैसे तो उनकी जयंती हर साल 19 मार्च को मनाई जाती है पर, तिथि के अनुसार आज यानी कि 10 मार्च को महाराज शिवाजी की जयंती मनाई जा रही है, जिसे शिव जयंती भी कहा जाता है।


written by Abhishek gangotri

छत्रपति शिवाजी महाराज जीवन परिचय (Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography)

जीवन परिचय बिंदुशिवाजी जीवन परिचय
पूरा नामशिवाजी शहाजी राजे भोसले
जन्म19 फ़रवरी 1630
जन्म स्थानशिवनेरी दुर्ग, पुणे
जातिकुर्मी
गोत्रकश्यप
माता-पिताजीजाबाई, शहाजी राजे
पत्नीसाईंबाई, सकबारबाई, पुतलाबाई, सोयाराबाई
बेटे-बेटीसंभाजी भोसले या शम्भू जी राजे, राजाराम, दिपाबाई, सखुबाई, राजकुंवरबाई, रानुबाई, कमलाबाई, अंबिकाबाई
मृत्यु3 अप्रैल 1680

मुगलों की लड़ाई (Chhatrapati Shivaji Maharaj Fights)

शिवाजी जैसे जैसे आगे बढ़ते गए उनके दुश्मन भी बढ़ते गए, शिवाजी के सबसे बड़े दुश्मन थे मुग़ल. 1657 में शिवाजी ने मुगलों के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी. उस समय मुग़ल एम्पायर औरंगजेब के हक में था, औरंगजेब ने शाइस्ता खान की सेना को शिवाजी के खिलाफ खड़ा कर दिया. उन्होंने पुना में अधिकार जमा लिया और सेना का विस्तार वही किया. एक रात शिवाजी ने अचानक पुना में हमला कर दिया, हजारों मुग़ल सेना के लोग मारे गए, लेकिन शाइस्ता खान भाग निकला. इसके बाद 1664 में शिवाजी ने सूरत में भी अपना झंडा फहराया.

पुरान्दर की संधि –

औरंगजेब ने हार नहीं मानी और इस बार उसने अम्बर के राजा जय सिंह और दिलीर सिंह को शिवाजी के खिलाफ खड़ा किया. जय सिंह ने उन सभी किलो को जीत लेता है, जिनको शिवाजी ने जीते थे और पुरन्दरपुर में शिवाजी को हरा दिया. इस हार के बाद शिवाजी को मुगलों के साथ समझोता करना पड़ा. शिवाजी ने 23 किलों के बदले मुगलों का साथ दिया और बीजापुर के खिलाफ मुग़ल के साथ खड़ा रहा.

शिवाजी महाराज का छुपना 

औरंगजेब ने समझोते के बावजूद शिवाजी से अच्छा व्यव्हार नहीं किया, उसने शिवाजी और उसके बेटे को जेल में बंद कर दिया, लेकिन शिवाजी अपने बेटे के साथ आगरा के किले से भाग निकले. अपने घर पहुँचने के बाद शिवाजी ने नयी ताकत के साथ मुगलों के खिलाफ जंग छेड़ दी. इसके बाद औरंगजेब ने शिवाजी को राजा मान लिया. 1674 में शिवाजी महाराष्ट्र के एक अकेले शासक बन गए. उन्होंने हिन्दू रिवाजों के अनुसार शासन किया.

छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक (Chhatrapati Shivaji Maharaj Coronation)

महाराष्ट्र में हिन्दू राज्य की स्थापना शिवाजी ने 1674 में की, जिसके बाद उन्होंने अपना राज्याभिषेक कराया. शिवाजी कुर्मी जाति के थे, जिन्हें उस समय शुद्र ही माना जाता था, इस वजह से सभी ब्राह्मण ने उनका विरोध किया और राज्याभिषेक करने से मना कर दिया. शिवाजी ने बनारस के भी ब्राह्मणों को न्योता भेजा, लेकिन वे भी नहीं माने, तब शिवाजी ने उन्हें घूस देकर मनाया और फिर उनका राज्याभिषेक हो पाया. यही पर उन्हें छत्रपति की उपाधि से सम्मानित किया गया. इसके 12 दिन के बाद उनकी माता जिजाभाई का देहांत हो गया, जिससे शिवाजी ने शोक मनाया और कुछ समय बाद फिर से अपना राज्याभिषेक कराया. इसमें दूर दूर से राजा पंडितों को बुलाया गया. जिसमें बहुत खर्चा हुआ. शिवाजी ने इसके बाद अपने नाम का सिक्का भी चलाया.

सभी धर्मो का आदर :

शिवाजी धार्मिक विचारधाराओं मान्यताओं के घनी थे. अपने धर्म की उपासना वो जिस तरह से करते थे, उसी तरह से वो सभी धर्मो का आदर भी करते थे, जिसका उदहारण उनके मन में समर्थ रामदास के लिए जो भावना थी, उससे उजागर होता हैं. उन्होंने रामदास जी को पराली का किला दे दिया था, जिसे बाद में सज्जनगड के नाम से जाना गया . स्वामी राम दास एवम शिवाजी महाराज के संबंधो का बखान कई कविताओं के शब्दों में मिलता हैं . धर्म की रक्षा की विचारधारा से शिवाजी ने धर्म परिवर्तन का कड़ा विरोध किया .

शिवाजी ने अपना राष्ट्रीय ध्वज नारंगी रखा था, जो हिंदुत्व का प्रतीक हैं. इसके पीछे एक कथा है, शिवाजी रामदास जी से बहुत प्रेम करते थे, जिनसे शिवाजी ने बहुत सी शिक्षा ग्रहण की थी. एक बार उनके ही साम्राज्य में रामदास जी भीख मांग रहे थे, तभी उन्हें शिवाजी ने देखा और वे इससे बहुत दुखी हुए, वे उन्हें अपने महल में ले गए और उनके चरणों में गिर उनसे आग्रह करने लगे, कि वे भीख ना मांगे, बल्कि ये सारा साम्राज्य ले लें. स्वामी रामदास जी शिवाजी की भक्ति देख बहुत खुश हुए, लेकिन वे सांसारिक जीवन से दूर रहना चाहते थे, जिससे उन्होंने साम्राज्य का हिस्सा बनने से तो इंकार कर दिया, लेकिन शिवाजी को कहा, कि वे अच्छे से अपने साम्राज्य को संचालित करें और उन्हें अपने वस्त्र का एक टुकड़ा फाड़ कर दिया और बोला इसे अपना राष्ट्रीय ध्वज बनाओ, ये सदेव मेरी याद तुम्हे दिलाएगा और मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा.

छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना (Chhatrapati Shivaji Maharaj Army) 

शिवाजी के पास एक बहुत बड़ी विशाल सेना थी, शिवाजी अपनी सेना का ध्यान एक पिता की तरह रखते थे. शिवाजी सक्षम लोगों को ही अपनी सेना में भरती करते थे, उनके पास इतनी समझ थी, कि वे विशाल सेना को अच्छे से चला पायें. उन्होंने पूरी सेना को बहुत अच्छे से ट्रेनिंग दी थी, शिवाजी के एक इशारे पर वे सब समझ जाते थे. उस समय तरह तरह के टैक्स लिए जाते थे, लेकिन शिवाजी बहुत दयालु राजा थे, वे जबरजस्ती किसी से टैक्स नहीं लेते थे. उन्होंने बच्चों, ब्राह्मणों व औरतों के लिए बहुत कार्य किये. बहुत सी प्रथाओं को बंद किया. उस समय मुग़ल हिंदुओ पर बहुत अत्याचार करते थे, जबरजस्ती इस्लाम धर्म अपनाने को बोलते थे, ऐसे समय में शिवाजी मसीहा बनकर आये थे. शिवाजी ने एक मजबूत नेवी की स्थापना की थी, जो समुद्र के अंदर भी तैनात होती और दुश्मनों से रक्षा करती थी, उस समय अंग्रेज, मुग़ल दोनों ही शिवाजी के किलों में बुरी नजर डाले बैठे थे, इसलिए उन्हें इंडियन नेवी का पिता कहा जाता है.

छत्रपति शिवाजी महाराज की म्रत्यु कैसे हुई (Chhatrapati Shivaji Maharaj Death)

शिवाजी बहुत कम उम्र में दुनिया से चल बसे थे, राज्य की चिंता को लेकर उनके मन में काफी असमंजस था, जिस कारण शिवाजी की तबियत ख़राब रहने लगी और लगातार 3 हफ़्तों तक वे तेज बुखार में रहे, जिसके बाद 3 अप्रैल 1680 में उनका देहांत हो गया. मात्र 50 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई. उनके मरने के बाद भी उनके वफादारों ने उनके साम्राज्य को संभाले रखा और मुगलों अंग्रेजों से उनकी लड़ाई जारी रही.

शिवाजी एक महान हिन्दू रक्षक थे. शिवाजी ने एक कूटनीति बनाई थी, जिसके अन्तर्गत किसी भी साम्राज्य में अचानक बिना किसी पूर्व सुचना के आक्रमण किया जा सकता था, जिसके बाद वहां के शासक को अपनी गद्दी छोड़नी होती थी. इस नीति को गनिमी कावा कहा जाता था. इसके लिए शिवाजी को हमेशा याद किया जाता है. शिवाजी ने हिन्दू समाज को नया रूप दिया, अगर वे ना होते तो आज हमारा देश हिन्दू देश ना होता मुग़ल पूरी तरह से हमारे उपर शासन करते. यही वजह है शिवाजी को मराठा में भगवान मानते है.








टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

Hello friends commnet spam na kare sahi comment kare

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Satish Kaushik: जानिए क्यों हुआ अभिनेता सतीश कौशिक का पोस्टमार्टम, मौत की वजह हार्ट अटैक या कुछ और...

what is a saligram stone